पुरुषार्थ
1. गृहस्थ बार-बार हानि होने पर भी धनोपार्जन का पुरुषार्थ करता रहता है।
2. साधु हीन पुरुषार्थ होते हुए भी परीषह (कठिनाइयों) जय करने में महान पुरुषार्थ करते रहते हैं।
क्षु.श्री जिनेंद्र वर्णी जी
1. गृहस्थ बार-बार हानि होने पर भी धनोपार्जन का पुरुषार्थ करता रहता है।
2. साधु हीन पुरुषार्थ होते हुए भी परीषह (कठिनाइयों) जय करने में महान पुरुषार्थ करते रहते हैं।
क्षु.श्री जिनेंद्र वर्णी जी
4 Responses
पुरुषार्थ का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए परमार्थिक कार्यों पर पुरुषार्थ करना परम आवश्यक है।
साधु ke liye हीन पुरुषार्थ kis apeksha se kaha ? Ise clarify karenge, please ?
चौथे कल की तुलना में पंचम काल का संहनन हीन ही तो माना जाएगा !
Okay.