पूजा खड़े*(अवस्था वाले) की होती है, लेटे/मरे की नहीं।
* Alert/ पुरुषार्थी
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पूजा का मतलब पंचमेष्ठी के गुणों का चिंतवन करना होता है, प्रसन्नता पूर्वक की गई फल देने वाली होती है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि पूजा खडे़ वाली अवस्था की होती है, लेकिन लेटे या मरे की नहीं होती है। पूजा भगवान् एवं गुरुओं की जाती है, अन्य किसी की नहीं की जाती है।
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पूजा का मतलब पंचमेष्ठी के गुणों का चिंतवन करना होता है, प्रसन्नता पूर्वक की गई फल देने वाली होती है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि पूजा खडे़ वाली अवस्था की होती है, लेकिन लेटे या मरे की नहीं होती है। पूजा भगवान् एवं गुरुओं की जाती है, अन्य किसी की नहीं की जाती है।