आतप और उद्योत वालों के अलावा, सब पुदगल अंधकार मय होते हैं ।
सिद्धालय में भी अंधकार होता है ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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आतप—जो सूर्य आदि निमित्त से ऊष्ण प़काश होता है।
उघोत्—उष्णता रहित प़काश को कहते हैं।
पुदगल—जो पूरण और गलन स्वभाव वाला होता है अथवा जिसमे रुप,रस, गंध और स्पर्श ये चारो गुण पाये जाते हैं।
सिद्व—समस्त आठ कर्मो के बन्धन को जिन्होने नष्ट कर दिया है, ऐसे निरंजन परमात्मा ही सिद्व कहलाते हैं।
अतः आतप और उघोत् वालो के अलावा सब पुदगल अंधकार मय होते हैं।अतः सिद्वालय में भी अंधकार होता है।
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आतप—जो सूर्य आदि निमित्त से ऊष्ण प़काश होता है।
उघोत्—उष्णता रहित प़काश को कहते हैं।
पुदगल—जो पूरण और गलन स्वभाव वाला होता है अथवा जिसमे रुप,रस, गंध और स्पर्श ये चारो गुण पाये जाते हैं।
सिद्व—समस्त आठ कर्मो के बन्धन को जिन्होने नष्ट कर दिया है, ऐसे निरंजन परमात्मा ही सिद्व कहलाते हैं।
अतः आतप और उघोत् वालो के अलावा सब पुदगल अंधकार मय होते हैं।अतः सिद्वालय में भी अंधकार होता है।