प्रथमोपशम-सम्यग्दर्शन

5,6 या 7 प्रकृतियों के उपशम से होता है ।
6 प्रकृतियों का उपशम –  जीव के 1 बार मिथ्यात्व में आने पर यदि सम्यक-प्रकृति की उद्वेलना पूरी हो गयी है, तो सत्ता में 6 प्रकृतियां ही बचेंगी ।
उस समय यदि प्रथमोपशम-सम्यक्त्व हुआ तो वह 6 प्रकृतियों का उपशम करके होगा ।

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