दूसरों के द्वारा दिये हुये प्रमाण-पत्र से नौकर/भक्त बनते हैं ।
खुद के प्रमाण-पत्र से मालिक/भगवान बनते हैं ।
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4 Responses
यह कथन बिलकुल सत्य है – – –
दूसरों के प्रमाण पत्र से उनकी चाकरी करना पडती है। अतः उचित होगा कि अपने जीवन को पवित्र बनाना चाहिये, जिसका प्रमाण पत्र भगवान् से प्राप्त हो सकेगा, वही मान्य होगा।
हम कोई अच्छा काम करते हैं तो खुद को तो मालूम होता ही है ,
दूसरों को पता लगे या ना भी लगे।
तो encourage के लिए प्रमाणपत्र किसका चलेगा !
2) दूसरों को तुमसे राग या द्वेष हो सकता है,सो उनका प्रमाणपत्र सही नहीं होगा।
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यह कथन बिलकुल सत्य है – – –
दूसरों के प्रमाण पत्र से उनकी चाकरी करना पडती है। अतः उचित होगा कि अपने जीवन को पवित्र बनाना चाहिये, जिसका प्रमाण पत्र भगवान् से प्राप्त हो सकेगा, वही मान्य होगा।
What do we mean by “khud ke pramaan patra” in the above context,please?
हम कोई अच्छा काम करते हैं तो खुद को तो मालूम होता ही है ,
दूसरों को पता लगे या ना भी लगे।
तो encourage के लिए प्रमाणपत्र किसका चलेगा !
2) दूसरों को तुमसे राग या द्वेष हो सकता है,सो उनका प्रमाणपत्र सही नहीं होगा।
Okay.