प्रशम

सम्यग्दृष्टियों के प्रशम भाव कैसे ?

प्रशम भाव के दो भेद –
1. नारकियों/गृहस्थों/त्रियंचों/देवों का, जिसमें विरोधी हिंसा का त्याग नहीं ।
2. मुनियों का पूर्ण हिंसा का त्याग ।

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2 Responses

    1. Good observation,
      तुम्हारे देव include कर दिये ।

      अब प्रश्न उठेगा कि देव विरोधी हिंसा तो करते ही नहीं ?
      जबाब– त्याग भी तो नहीं है !

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