प्रातिहार्य

दिव्य-ध्वनि तो हर समय खिरती नहीं है, तो उस समय 7 प्रातिहार्य मानें ?

दिव्यध्वनि की उस समय योग्यता तो रहती है, सो 8 प्रातिहार्य ही माने जायेंगे ।

मुनि श्री सुधासागर जी

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One Response

  1. प्रातिहार्य-अर्हन्त भगवान् की महिमा और विभूति प़कट करने वाले होते हैं।अशोकवृक्ष,तीन क्षत्र ,सिंहासन,दिव्यध्यनि,दुन्दभि,पुष्पवृष्टि,भामण्डल और चौंसठ चमर यह सब आठ होते हैं। दिव्यध्वनी-केवल ज्ञान होते ही अर्हंन्त भगवान के मुख से जो जीवों का कल्याण करने वाली औंकार रुप वाणी खिरती हैं उसको कहते है। तीर्थंकर के समावसरण में शुबह शाम और अर्द्धरात्रि के समय छह-छह घड़ी दिव्यध्यनि खिरती हैं इसके अतिरिक्त गणधर,इन्द़ या चक्रवती आदि के द्वारा पश्न पूछे जाने पर,शेष समय में भी खिरती रहती हैं।

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