फटे में पैर डालना

दूसरों के यहाँ कुछ भी अच्छा/बुरा हो, हम कहते हैं – दूसरों के फटे में मैं क्यों पैर डालूँ।
पर कर्म भी तो दूसरे हैं, उसमें(कर्मफल में) इतना Involvement क्यों ?
जबकि देख रहे हो कि कर्मों के फटे (कर्म फटने/ फलित होने पर) में पैर डालने के नतीजे बुरे ही होते हैं।

मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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One Response

  1. फटे में पैर डालने का मतलब किसी भी इंसान के लिए उलझना होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि किसी की बुराईयों में दख़ल देने से स्वयं के कर्म बंधते हैं, जिसका परिणाम स्वयं को भुगतना पड़ता है। अतः जीवन में किसी भी अवस्था में फटे में पैर नहीं डालना चाहिए ताकि बुरे कर्मों से बचना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।

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