बंधु

बंधु वह जो हितकारी हो, चाहे पराया ही क्यों ना हो ।
अपने ही शरीर में होने वाली बीमारी – अबंधु,
जंगल की औषधि – बंधु ।

मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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One Response

  1. उपरोक्त कथन सत्य है कि बंधु जो हितकारी हो,चाहे वह परया ही क्यों न हो। अतः जो बंधु किसी के लिए हितकारी या सहयोग करता हो वह जंगल की औषधि की तरह काम करता है, वही सही बंधु होगा। हितकारी नहीं होता है,उसी को अबंधु कहते हैं। अतः जीवन में परोपकार की भावना रखना चाहिए ताकि अपना और पराये का कल्याण होगा।

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