बच्चे / शिष्य
प्राय: बच्चे/ शिष्य उद्दंड होते हैं, उनको डंडे की जरूरत होती है,
पर डंडा गन्ने का होना चाहिये।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
प्राय: बच्चे/ शिष्य उद्दंड होते हैं, उनको डंडे की जरूरत होती है,
पर डंडा गन्ने का होना चाहिये।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
2 Responses
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का बच्चे और शिष्य का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! अतः इन दोनों को मीठा बोलकर उनकी उदंडता समाप्त हो सकती है!
उतना ही दंड दीजिए,
जितना करे सुधार।
समझाने से काम हो,
फिर मत दीजे मार।।