बहुश्रुत/प्रवचन भक्ति
बहुश्रुत – जिनवाणी के बहुज्ञाता = उपाध्याय
प्रवचन – भगवान के वचन = जिनवाणी,
इनकी भक्ति करना ।
पं. रतनलाल बैनाड़ा जी
बहुश्रुत – जिनवाणी के बहुज्ञाता = उपाध्याय
प्रवचन – भगवान के वचन = जिनवाणी,
इनकी भक्ति करना ।
पं. रतनलाल बैनाड़ा जी