उक्त कथन सत्य है कि बारह भावनाये संसार से उठने के लिए होती है जबकि सोलह भावनाये संसार में निर्लिपतता से रहकर, फिर उठने के लिए होती है। Reply
सोलहकारण भावनायें… 1) दर्शन-विशुद्धि 2) विनय-संपन्नता 3) शील-व्रतानतिचार 4) अभीक्ष्ण-ज्ञानोपयोग 5) अभीक्ष्ण-संवेग 6) यथाशक्ति-त्याग 7) यथाशक्ति-तप 8) साधु-समाधि 9) वैय्यावृत्य-करण 10) अरिहंत-भक्ति 11) आचार्य-भक्ति 12) बहुश्रुत-भक्ति 13) प्रवचन-भक्ति 14) आवश्यक-अपरिहाणि 15) मार्ग-प्रभावना 16) प्रवचन-वत्सलत्व Reply
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उक्त कथन सत्य है कि बारह भावनाये संसार से उठने के लिए होती है जबकि सोलह भावनाये संसार में निर्लिपतता से रहकर, फिर उठने के लिए होती है।
“Solaha bhavnayein” kaunsi hain?
सोलहकारण भावनायें…
1) दर्शन-विशुद्धि
2) विनय-संपन्नता
3) शील-व्रतानतिचार
4) अभीक्ष्ण-ज्ञानोपयोग
5) अभीक्ष्ण-संवेग
6) यथाशक्ति-त्याग
7) यथाशक्ति-तप
8) साधु-समाधि
9) वैय्यावृत्य-करण
10) अरिहंत-भक्ति
11) आचार्य-भक्ति
12) बहुश्रुत-भक्ति
13) प्रवचन-भक्ति
14) आवश्यक-अपरिहाणि
15) मार्ग-प्रभावना
16) प्रवचन-वत्सलत्व
Okay.