बीज़ाक्षर

इनका जाप भी, चिंतन भी;
अर्थ का चिंतन नहीं, स्वभाव का ।
श्रावकों/प्रारंभिक अवस्था में जाप ही ।

संसार में डाॅक्टर बनने के लिये 17 साल अध्ययन तथा 2 साल की प्रैक्टिस, पर धर्म में हम 19 मिनटों में ही Expert होना चाहते हैं ।

मुनि श्री सुधासागर जी

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4 Responses

  1. बीजाक्षरों का जैन धर्म में महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि इससे मंत्रों का निर्माण हूआ है,इसकी जाप श्रावकों के लिए प्रारंभिक अवस्था है। लेकिन लोग इससे ही काम चला लेते हैं। जबकि इन मंत्रों का अर्थ और चिंतन करना आवश्यक है ताकि धर्म का मूल्यांकन कर सकते हो।जब मेडिकल की पढ़ाई में इतना समय लगाते हो तब कुछ सीखने में आता है। अतः जीवन में बीजाक्षर का अर्थ और चिंतन करना चाहिए ताकि धर्म में कुछ सफलता मिल सकती है।

    1. छोटा बच्चा “माँ” शब्द का अर्थ नहीं जानता पर दिन-रात उसकी रट लगाए रहता है,
      पर माँ का स्वभाव खूब अच्छे से जानता है ।

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