ब्रम्हचर्य धर्म

  • जनसंख्या की वृद्धि रोकने के लिये परिवार नियोजन की जरूरत नहीं, पाप के नियोजन की  जरूरत है ।
  • वासना ही है जो उपासना और आत्मा की साधना में बाधक है ।
  • ब्रम्हचर्य की रक्षा कैसे की जाये ?
    स्वाध्याय, ध्यान, संयमीयों का सत्संग, शील पालन में सहायक होता है ।
    नशा, अपशब्द, शरीर का श्रंगार ये बाधक होते हैं ।
  • ब्रम्हचर्य कवच है, ये किसी तरह के भी दोष नहीं आने देता ।
    (जैसे मूंगफली में तेल होता है तो उसमें विषाणु नहीं आते, इसी प्रकार ब्रम्हचर्य का तेज शरीर के रोम रोम में हो जाता है, उसमें किसी तरह के रोग या विकार नहीं आ पाते हैं – चिंतन)

आचार्य श्री विद्यासागर जी

  • 1995 के बीना-बारहा में आचार्य श्री के चातुर्मास में तीन विदेशी लोग आये,उन्होंने पूछा – इतनी कम उम्र में आप ब्रम्हचर्य कैसे रख पाते हैं जबकि आपके आसपास तमाम स्त्री और युवा लड़कियाँ आहार के समय आपको घेरे रहतीं हैं ?
    बच्चा जब काफी बड़ा हो जाता है तब तक उसकी माँ और बहनें उसे नहलाती रहतीं हैं,
    (जब आदमी बूढ़ा हो जाता है तब भी बेटी और बहनें उसे नहलाती हैं) तो उनको विकार आता है क्या ?
    मैं हर स्त्री में माँ, बहन और बेटी देखता हूँ तो मुझे विकार कैसे आयेंगे ?
    विदेशी बोले – महावीर के बारे में पढ़ा तो बहुत था पर देखा आज ।
  • माली का काम सिर्फ उगाना ही नहीं उन्हें भगवान के चरणों तक पहुँचाना भी है ।
    हम गृहस्थों का काम सिर्फ बच्चों की उत्पत्ति ही नहीं, उनको भगवान के चरणों तक ले जाना भी है ।
  • आज गृहस्थी पाँच पापों की नाली बन गयी है, गृहस्थी में रहते हुये ये पाप ना भी बहें, हमारे अंदर तक बदबू तो कम से कम आयेगी ही ।
  • रति वे करते हैं जो काम के रोगी हैं, कुत्ता/चील भी शरीर में रति करते हैं पर वो क्षुधा के रोगी हैं, हम काम के रोगी हैं ।

मुनि श्री कुन्थुसागर जी

Share this on...

4 Responses

  1. ब्रम्हचर्य का तात्पर्य मैथुन या काम सेवन का त्याग करना होता है, अथवा ब़म्ह का अर्थ आत्मा में लीन होना होता है। अतः उपरोक्त उदाहरण जो आचार्य श्री एवं मुनियों द्वारा बताए गए हैं वह भी पूर्ण सत्य है।

    1. परिवार-नियोजन = परिवार को बढ़ने से रोकना;
      ऐसे ही पाप-नियोजन।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

September 19, 2021

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031