मेरा तो क्या है ! मैं तो पहले से हारा,
तुझ से ही पूछेगा यह संसार सारा…
डूब गयी क्यों नैया तेरे रहते खेवनहार !!
यहाँ से ग़र जो हारा, कहाँ जाऊँगा सरकार ?
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2 Responses
भक्ति का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! अतः जीवन में विशुद्वी भाव भक्ति में होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है! पापों से दूरी रह कर चलना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है!
अपने अपने कर्मो का,
फल पाते है लोग।
पाप पुण्य का बंधू मेरे,
खत्म करो सब योग।।
न कोई नाव सवार है,
न कोई खेवनहार।
कर्म सुधारो अपने,
होगी नैया पार।।
भगवन तो निष्प्रह है,
करो स्वयं उद्धार।
पर को छोड़ो, निज को पकड़ो,
होगी नैया निज की पार।।
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भक्ति का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! अतः जीवन में विशुद्वी भाव भक्ति में होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है! पापों से दूरी रह कर चलना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है!
अपने अपने कर्मो का,
फल पाते है लोग।
पाप पुण्य का बंधू मेरे,
खत्म करो सब योग।।
न कोई नाव सवार है,
न कोई खेवनहार।
कर्म सुधारो अपने,
होगी नैया पार।।
भगवन तो निष्प्रह है,
करो स्वयं उद्धार।
पर को छोड़ो, निज को पकड़ो,
होगी नैया निज की पार।।