देवता के पास बाह्य वैभव होता है, भगवान के पास आंतरिक ।
भगवान जन्म-मरण से परे, मुक्त, वीतरागी, अभिशाप/वरदान नहीं ।
देवता जन्म/मरण से युक्त, संसारी, राग-द्वेष सहित, अभिशाप/वरदान युक्त ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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यह कथन सत्य है कि भगवान् जन्म मरण से परे, मुक्त, वीतरागी, अभिशाप/वरदान नहीं।देवता जन्म/मरण युक्त, संसारी, राग-द्वेष सहित, अभिशाप और वरदान युक्त होते हैं।यह कथन भी सत्य है कि देवता सदा इन्दियो सुखो में मग्न रहते हैं इसलिये देवतायो के बाह्म वैभव होता है लेकिन भगवान् के पास आंतरिक होता है।
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यह कथन सत्य है कि भगवान् जन्म मरण से परे, मुक्त, वीतरागी, अभिशाप/वरदान नहीं।देवता जन्म/मरण युक्त, संसारी, राग-द्वेष सहित, अभिशाप और वरदान युक्त होते हैं।यह कथन भी सत्य है कि देवता सदा इन्दियो सुखो में मग्न रहते हैं इसलिये देवतायो के बाह्म वैभव होता है लेकिन भगवान् के पास आंतरिक होता है।