भगवान का दान
वैसे तो भगवान के क्षायिक – दान है, पर प्रत्यक्ष में अभय – दान ही होता है ।
उनके निमित्त से कुछ भी मिल सकता है;
दु:ख भी – अपमान करने वाले को !!
वैसे तो भगवान के क्षायिक – दान है, पर प्रत्यक्ष में अभय – दान ही होता है ।
उनके निमित्त से कुछ भी मिल सकता है;
दु:ख भी – अपमान करने वाले को !!