लॉकर की दो चाबियाँ हैं, अमूल्य निधी दोनों के लगने पर ही मिलेगी ।
पुरुषार्थ की चाबी हमारे पास है, भाग्य की मैनेजर के पास ।
अपनी चाबी लगाते रहना, पता नहीं कब मैनेजर अपनी चाबी लगा दे ।
(धर्मेंद्र)
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उपरोक्त कथन बिलकुल सत्य है – – – – – – – –
सफलता की चाबी दो हाथ में होती है, पहली चाबी बैंक के मैनेजर के पास होती है दुसरी आपके पास होती है लेकिन जब तक आप स्वमं की चाबी नहीं लगायेंगे तब तक भाग्य काम नहीं आ सकता है। भाग्य को पुरुषार्थ से बदलने का प्रयास करना चाहिए। भाग्य तो तिजोरी में बन्द रहता है लेकिन पुरुषार्थ से ही चाबी का सहारा लेना ही पड़ेगा।
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उपरोक्त कथन बिलकुल सत्य है – – – – – – – –
सफलता की चाबी दो हाथ में होती है, पहली चाबी बैंक के मैनेजर के पास होती है दुसरी आपके पास होती है लेकिन जब तक आप स्वमं की चाबी नहीं लगायेंगे तब तक भाग्य काम नहीं आ सकता है। भाग्य को पुरुषार्थ से बदलने का प्रयास करना चाहिए। भाग्य तो तिजोरी में बन्द रहता है लेकिन पुरुषार्थ से ही चाबी का सहारा लेना ही पड़ेगा।