भावना से मुनि पद तक पा सकते हैं पर योग्यता(वज्रवृषभ नाराच संहननादि) बिना मोक्ष नहीं।
तीर्थंकर की सेवा करने के भाव तो 16 स्वर्ग तक के इन्द्रों के होते हैं पर योग्यता पहले स्वर्ग के सौधर्म इंद्र की ही।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने भावना एवं योग्यता को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए अच्छी भावनाओं का पालन करना परम आवश्यक है ताकि योग्यता आ सकती है।
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने भावना एवं योग्यता को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए अच्छी भावनाओं का पालन करना परम आवश्यक है ताकि योग्यता आ सकती है।