बारह-भावना भाने के लिये तीन भावना भायें –
1. सम…षटकाय जीवों के प्रति
2. निर्मम…मम भाव हटाना
3. निशल्य
इनको भाने से –
1.संवेग
2.वैराग्य
3.यम – महाव्रत लेने के भाव
4.प्रशम भाव
आत्मा में संस्कार रूप में आ जाते हैं।
श्री ज्ञानार्णव-सर्ग 2/6 (मुनि श्री प्रणम्यसागर जी)
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जैन धर्म में भावनाओं का महत्वपूर्ण स्थान रहता है। बारह भावनाओं जीवन का कल्याण हो सकता है। अतः उपरोक्त तीनों भावनाओं के भाने पर,संवेग, वैराग्य,यम और प़शम भाव, आत्मा में संस्कार रुप में आ जाते हैं।
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जैन धर्म में भावनाओं का महत्वपूर्ण स्थान रहता है। बारह भावनाओं जीवन का कल्याण हो सकता है। अतः उपरोक्त तीनों भावनाओं के भाने पर,संवेग, वैराग्य,यम और प़शम भाव, आत्मा में संस्कार रुप में आ जाते हैं।