भाव/फल
दु:खी होकर/अज्ञानता से शरीर छोड़ने के भाव से पापबंध,
मोक्ष सुख के लिये आनंद और ज्ञान सहित समाधिमरण करने से पुण्य/मोक्ष ।
क्रिया दोनों में एक ही है ।
चिंतन
दु:खी होकर/अज्ञानता से शरीर छोड़ने के भाव से पापबंध,
मोक्ष सुख के लिये आनंद और ज्ञान सहित समाधिमरण करने से पुण्य/मोक्ष ।
क्रिया दोनों में एक ही है ।
चिंतन