भाव शब्दों के, भंगिमा शरीर की;
दोनों एकरूप भी हो सकते हैं, भिन्न-भिन्न भी।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि भाव शब्दों के होते हैं, जबकि भंगिमा शरीर की होती है।यह दोनों एक रुप भी हो सकतें हैं, एवं भिन्न-भिन्न भी हो सकतें हैं। जीवन में भाव अच्छे होंगे तो भंगिमा भी अच्छी दिखेगी। अतः जीवन में भाव उत्तम होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि भाव शब्दों के होते हैं, जबकि भंगिमा शरीर की होती है।यह दोनों एक रुप भी हो सकतें हैं, एवं भिन्न-भिन्न भी हो सकतें हैं। जीवन में भाव अच्छे होंगे तो भंगिमा भी अच्छी दिखेगी। अतः जीवन में भाव उत्तम होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।