भूलन-बेल
छत्तीसगढ़ के जंगलों में एक वैद्य रास्ता भूल गये।
गाँव वालों से पूछा तो उन्होंने कारण बताया… “भूलन-बेल छुआ गयी होगी”।
हम सब भी तो मोह-बेल छूने से अपना स्वरूप भूलकर संसार के जंगलों में भटक रहे हैं।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
छत्तीसगढ़ के जंगलों में एक वैद्य रास्ता भूल गये।
गाँव वालों से पूछा तो उन्होंने कारण बताया… “भूलन-बेल छुआ गयी होगी”।
हम सब भी तो मोह-बेल छूने से अपना स्वरूप भूलकर संसार के जंगलों में भटक रहे हैं।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
One Response
उपरोक्त कथन सत्य है कि हम सब ही तो मोहरूपी बेल छू कर अपना स्वरूप भूलकर संसार के जंगलों में मटकते रहते हैं। अतः मोह रुप को छोड़ना पड़ेगा ताकि अपने स्वरूप रानी आत्मा को पहिचान करना आवश्यक है ताकि रास्ता नहीं भूल सकते हैं।