भेद विज्ञान
चावल में से कंकड़ न निकालना अज्ञान है। घातक भी हो सकता है, क्योंकि दाँत टूट सकते हैं।
गुण को उपादेय मान कर ग्रहण करो। दोष को हेय मानकर तजना होगा।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
चावल में से कंकड़ न निकालना अज्ञान है। घातक भी हो सकता है, क्योंकि दाँत टूट सकते हैं।
गुण को उपादेय मान कर ग्रहण करो। दोष को हेय मानकर तजना होगा।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
One Response
आचार्य श्री विद्यासागर सागर महाराज जी ने भेद विज्ञान का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए भेद विज्ञान को अपनी आत्मा में धारण करना परम आवश्यक है।