महावीर भगवान
महावीर भगवान के निर्वाण दिवस की बधाई।
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इंद्रिय नियंत्रण…
राजसिक/ तामसिक भोजन से अपना व सामने वालों का भी नुकसान होता है।
स्वयं का शरीर तथा भाव खराब। दूसरे राजसिक से जलन तथा तामसिक देख कर प्रेरित हो जाते हैं।
मुनि श्री मंगलानंदसागर जी
4 Responses
मुनि श्री मंगलान्दसागर जी ने भोजन की विस्तृत परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए तामसी भोजन से बचना चाहिए ताकि किसी भी प़कार भाव खराब नहीं रहना परम आवश्यक है।
‘दूसरे राजसिक से जलन तथा तामसिक देख कर प्रेरित हो जाते हैं।’ Is sentence ko thoda aur clarify karenge, please ?
राजसिक भोजन यानी शानदार उसे देखकर जो अफोर्ड नहीं कर सकते वह जलेंगे कि नहीं!
और तामसिक अभक्ष खाता देखकर दूसरे प्रेरित होंगे कि नहीं !!
Okay.