तपस्वी का रूप मंगलकारी होता है और यदि सुंदरता भी हो तो सोने में सुहागा जैसे आचार्य श्री विद्यासागर जी का ।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि तपस्वी का रुप मंगलकारी होता है और सुन्दरता भी हो तो सोने में सुहागा जैसे आचार्य श्री विद्यासागर महाराज को है।जब सोने को तपाते तपाते उसमें निखार या चमक आ जाती है,इसी प्रकार आचार्य श्री को आत्मा के लिए तप करते रहते हैं, इसलिए उनका सुन्दर रुप नज़र आता है।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि तपस्वी का रुप मंगलकारी होता है और सुन्दरता भी हो तो सोने में सुहागा जैसे आचार्य श्री विद्यासागर महाराज को है।जब सोने को तपाते तपाते उसमें निखार या चमक आ जाती है,इसी प्रकार आचार्य श्री को आत्मा के लिए तप करते रहते हैं, इसलिए उनका सुन्दर रुप नज़र आता है।