पहले मंत्रों को सिद्ध करके काम करवाते थे,
फिर तंत्र विद्या आयी ;
ये दोनों भावनात्मक थे ।
अब यंत्र की बहुलता है जैसे क्रेन से बड़े बड़े सामान उठाना,
यह द्रव्यात्मक है ।
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यह कथन सही है कि पहिले लोग मंत्र तंत्र के चक्कर में लगे रहते थे, लेकिन अब जमाना बदल गया है क्योंकि यंत्र ही जीवन में काम आरहे हैं।मंत्र तंत्र एक भावानात्मक रुप था ।अब जीवन में यंत्र आने से बडी से बडी समस्या हल हो जाती हैं क्योंकि यह द़व्यात्मक है।अतः सभी को यंत्र पर भरोसा करना चाहिए तभी जीवन को सफल कर सकते हैं।
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यह कथन सही है कि पहिले लोग मंत्र तंत्र के चक्कर में लगे रहते थे, लेकिन अब जमाना बदल गया है क्योंकि यंत्र ही जीवन में काम आरहे हैं।मंत्र तंत्र एक भावानात्मक रुप था ।अब जीवन में यंत्र आने से बडी से बडी समस्या हल हो जाती हैं क्योंकि यह द़व्यात्मक है।अतः सभी को यंत्र पर भरोसा करना चाहिए तभी जीवन को सफल कर सकते हैं।