मन खिड़की है (अंदर से आत्मा को संसार दिखाने, बाहर से आत्मा को देखने/समझने के लिये) ।
आत्मा देखने वाली है ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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मन का मतलब नाना प्रकार के विकल्प जाल है, अथवा गुण दोष का विचार व स्मरण आदि का विचार का कार्य है। इसके दो भेद हैं, द़व्य और भाव मन।
आत्मा का तात्पर्य जो यथासंभव ज्ञान दर्शन सुख आदि गुणों में वर्तता या परिणमन करता है, इसके तीन भेद हैं बहिरात्मा, अंतरात्मा और परिमात्मा।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि मन खिड़की यानी अंदर से आत्मा को संसार दिखाना, बाहर से आत्मा को देखने और समझने के लिए होता है।
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मन का मतलब नाना प्रकार के विकल्प जाल है, अथवा गुण दोष का विचार व स्मरण आदि का विचार का कार्य है। इसके दो भेद हैं, द़व्य और भाव मन।
आत्मा का तात्पर्य जो यथासंभव ज्ञान दर्शन सुख आदि गुणों में वर्तता या परिणमन करता है, इसके तीन भेद हैं बहिरात्मा, अंतरात्मा और परिमात्मा।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि मन खिड़की यानी अंदर से आत्मा को संसार दिखाना, बाहर से आत्मा को देखने और समझने के लिए होता है।