मन / चित्त
मन बाहरी, इसीलिये बाहरी वस्तुओं से प्रभावित हो जाता है।
चित्त अंतरंग, संस्कार चित्त पर ही होते हैं, यह Hard Disk है, भाव चित्त से ही आते हैं।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
मन बाहरी, इसीलिये बाहरी वस्तुओं से प्रभावित हो जाता है।
चित्त अंतरंग, संस्कार चित्त पर ही होते हैं, यह Hard Disk है, भाव चित्त से ही आते हैं।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
4 Responses
मन का तात्पर्य नाना प्रकार के विकल्पों का जाल, अथवा गुण दोष का विचार व स्मरण आदि करना भी होता है।
चित्त का मतलब आत्मा की शक्ति होती है,यह जीव का स्वभाव होता है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि मन बाहरी, इसलिए बाहरी वस्तुओं से प्रभावित हो जाता है।चित्त गहरा या अंतरंग, संस्कार चित्त पर ही होते हैं,यह हार्ड डिस्क है, भाव चित्त से ही आते हैं।
“Hard disk” yahan par “चित्त” ke liye use kiya gaya hai?
सही,
चित्त की तुलना hard disk से की गई है।
Okay.