मार्ग / मंज़िल

गुरु/भगवान को पाकर अहोभाग्य अनेकों बार माना, फिर कल्याण क्यों नहीं हुआ ?
मार्ग तो मिला पर मंज़िल नहीं, क्योंकि गुरु हमें पाकर धन्य नहीं हुये; माता-पिता, समाज, धर्म, देश धन्य नहीं हुए ।

मुनि श्री सुधासागर जी

Share this on...

4 Responses

  1. मार्ग का तात्पर्य उस रास्ते पर चलना होता है जबकि मंज़िल यानी अपने लक्ष्य को प्राप्त करना होता है।
    अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि गुरु और भगवान् को पाकर अहोभाग्य अनेकों बार माना लेकिन कल्याण नहीं हुआ है,इसका मुख्य कारण मार्ग तो मालूम हुआ लेकिन उस मंज़िल यानी लक्ष्य तक पहुंचते नहीं है।इसका कारण गुरु हमें पाकर धन्य नहीं हुए, माता-पिता, समाज, धर्म,देश धन्य नहीं हुए हैं। अतः सबको धन्य करने के लिए अपनी मंज़िल पर पहुंचना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।

  2. “गुरु”,”माता-पिता”, “समाज”, “धर्म” aur “देश”, humen paakar धन्य kaise ho sakte hain?

    1. यदि हम उनके प्रति कर्तव्य पूरे करें/ उनके अनुसार चलें तब ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

July 13, 2021

January 2025
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031