मित्र

  • जो बुराई में आपका साथ दे वो आपका मित्र नहीं हो सकता ।
    किसी का साथ देना ही मित्रता का गुण नहीं है अपितु किसी को गलत कार्य करने से रोकना यह एक श्रेष्ठ मित्र का गुण है ।
  • सही काम में किसी का साथ दो ना दो यह अलग बात है मगर किसी के बुरे कार्यों में साथ देना यह अवश्य गलत बात है ।
    अगर आपके मित्र आपको गलत कार्यों से रोकते हैं तो समझ लेना आप दुनियाँ के खुशनसीब लोगों में से एक हैं ।
  • मित्र का अर्थ है कि जो आपके लिए भले ही रुचिकर ना हो मगर हितकर अवश्य हो।
    जिसे आपका वित्त प्यारा न हो, हित प्यारा हो समझ लेना वो आपका सच्चा मित्र है ।

(श्री अरविंद बड़जात्या)

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