मीठे बोल

समय बहाकर ले जाता है…
नाम और निशान,
कोई “हम” में रह जाता है,
कोई “अहम्” में ।

बोल मीठे ना हों तो हिचकियाँ भी नहीं आतीं,
घर बड़ा हो या छोटा,
अगर मिठास ना हो तो इनसान तो क्या,
चीटीयाँ भी नहीं आतीं ।

(शैलेन्द्र जैन)

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