मुनि की मूर्ति
मुनियों की कौन सी अवस्था की मूर्ति बनायें ?
युवावस्था की या वृद्धावस्था की ?
पेट बाहर निकले/ चेहरे पर झुरिंयों सहित या सुडौल/ सुंदर स्वरूप की ?
यदि बनायें भी तो, शक्ल हूबहू नहीं होनी चाहिये ।
वरना हर भक्त अपने-अपने गुरु की मूर्ति बनायेगा/ उन्हीं की पूजादि करेगा ।
भगवान का महत्व कम हो जायेगा ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि यदि अपने गुरु की मूर्ति वैसी की वैसी ही बनाता है,जैसी उसकी शक्ल हो तब वह उस गुरु की पूजा ही करेगा, जिसके कारण भगवान् का महत्व कम हो जायेगा। मुनियों की मुर्ति बनाये जाने का उल्लेख नहीं मिलता है। अतः उचित होगा कि अपने हृदय में विराजमान कर लेना चाहिए ताकि उनके पद चिन्हों पर चलने में समर्थ हो सकता है।