यूँ ही एक छोटी सी बात पे,
ताल्लुकात पुराने बिगड़ गए,
मुद्दा ये था कि सही “क्या” है ?
और वो सही “कौन” में उलझ गए ।
(मेहुल)
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यह कथन बिलकुल सही है… आजकल, “मैं” कोई समझता नहीं है, तभी परेशान होते रहते हैं ।”मैं”, यानि अपनी आत्मा की पहचान ज़रूरी है; तभी परमात्मा बनने के रास्ते खुल जाते हैं ।
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यह कथन बिलकुल सही है… आजकल, “मैं” कोई समझता नहीं है, तभी परेशान होते रहते हैं ।”मैं”, यानि अपनी आत्मा की पहचान ज़रूरी है; तभी परमात्मा बनने के रास्ते खुल जाते हैं ।