भगवान ने मोक्ष को तत्व कहा है, द्रव्य नहीं, निकला द्रव्य से ही है जैसे रोटी गेंहू से।
फल द्रव्य है, सुगंधित रस तत्व।
हम द्रव्य तक तो पहुँचे पर तत्व का अनुभवन नहीं किया।
मुनि श्री सुधासागर जी
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तत्व का तात्पर्य जिस वस्तु का जो भाव है, अथवा जो पदार्थ जिस रुप में अवस्थित उसका रुप होता है। तत्व सात होते हैं,जीव, अजीव,आस्रव,बंध,संवर, निर्जरा एवं मोक्ष होते हैं।मोक्ष का मतलब समस्त कर्मों से रहित आत्मा की परम अवस्था का नाम है। मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने जो उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में मोक्ष मार्ग का रास्ता अपनाना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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तत्व का तात्पर्य जिस वस्तु का जो भाव है, अथवा जो पदार्थ जिस रुप में अवस्थित उसका रुप होता है। तत्व सात होते हैं,जीव, अजीव,आस्रव,बंध,संवर, निर्जरा एवं मोक्ष होते हैं।मोक्ष का मतलब समस्त कर्मों से रहित आत्मा की परम अवस्था का नाम है। मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने जो उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में मोक्ष मार्ग का रास्ता अपनाना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।