मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने मोह को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन का कल्याण करने के लिए मोह को त्याग करना परम आवश्यक है। Reply
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने मोह को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन का कल्याण करने के लिए मोह को त्याग करना परम आवश्यक है।
Isko thoda aur explain karenge, please ?
मोह तो शरीरादि से ही होगा, यह हुआ द्रव्य-मोह।
बेटे का सुख भोगने से भाव-मोह।
द्रव्य-मोह me kya बेटे का सुख nahi aayega ?
बेटा द्रव्य-मोह में निमित्त। इस से रागभाव भाव-मोह।
Okay.