यक्ष-यक्षणी

यक्ष-यक्षणी व्यंतर होते हैं, जिनकी आयु पल्यों में होती है, तो आदिनाथ आदि भगवानों के समय के यक्ष-यक्षणी तो आज रहे नहीं ।
2) यदि वे भगवानों के रक्षक थे, तो भगवानों पर उपसर्ग कैसे हुये ?

मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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  1. व्यंतर- -भूत पिशाच आदि जाति के देवों को कहते हैं।जैनागम में व्यंतर देव कहा गया है।यह आठ प्रकार के होते हैं।इनका निवास अधिकतर मध्यलोक में या खंडहर आदि सूने जगह में रहते हैं।यह मनुष्य और तिर्यंचों को लाभ हानि पहुंचा सकते है। अतः उक्त कथन सत्य है यक्ष यक्षणी व्यंतर होते हैं,जिनकी आयु पल्यों में होती हैं, आदिनाथ भगवान के समय में यक्ष यक्षणी रहे होंगे, लेकिन आज नहीं है। यदि वह भगवान के रक्षक होते तो उनके उपसर्ग में कोई भूमिका नहीं रही क्या ।

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