योग-निरोध

सामान्य-केवली भी योग-निरोध करने एकांत में चले जाते हैं/समवसरण में बैठे हों तो समवसरण छोड़ देते हैं क्योंकि समवसरण में कोई शरीर नहीं छोड़ता है ।

पं.रतनलाल बैनाड़ा जी

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4 Responses

  1. योग—मन,वचन और काय के द्वारा होने वाले आत्म प़देशो के परिस्पदन को कहते हैं, अथवा मन,वचन, काय की प़वृत्ति के लिए जीव का प़यत्न विशेष योग कहलाता है। केवली—चार घातिया कर्मो के क्षय होने से केवल ज्ञान प़ाप्त होता है।केवली दो प़कार के है, सयोग और अयोग केवली। केवली भगवान् जब तक बिहार और उपदेश आदि क़ियायें करते हैं तब तक सयोग केवली कहते हैं।आयु के अन्तिम कुछ छडो़ में जब इन क़ियायों का त्याग करके योग निरोध कर लेते हैं तब यह अयोग केवली कहलाते हैं।अतः सामान्य केवली योग-निरोध करने एकांत में चले जाते हैं एवं समवसरण में बेठे हो तो समवसरण छोड़ देते है क्योकि समवसरण में कोई शरीर नहीं छोड़ता है।

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