रक्षक-देवों का कोई निश्चित स्थान नहीं होता है ।
रक्षक तो घूमते रहते हैं ।
किसी भी शास्त्र में मंदिर में इनके स्थान का वर्णन नहीं आता है ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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6 Responses
देव हमेशा परम सुख में रहते हैं,यह भी चार प्रकार के होते हैं,भवनवासी, व्यंन्तर,ज्योसिष्क और वैमानिक। उपरोक्त कथन सत्य है कि रक्षक देवों का कोई निश्चित स्थान नहीं होता हैं,वे घूमते रहते हैं।
अतः इनका किसी शास्त्र में मन्दिर में इनके स्थान का वर्णन नहीं मिलता है एवं इनके पूजन आदि का वर्णन भी नहीं है।
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देव हमेशा परम सुख में रहते हैं,यह भी चार प्रकार के होते हैं,भवनवासी, व्यंन्तर,ज्योसिष्क और वैमानिक। उपरोक्त कथन सत्य है कि रक्षक देवों का कोई निश्चित स्थान नहीं होता हैं,वे घूमते रहते हैं।
अतः इनका किसी शास्त्र में मन्दिर में इनके स्थान का वर्णन नहीं मिलता है एवं इनके पूजन आदि का वर्णन भी नहीं है।
“रक्षक देव” kaunsi category ke dev hote hain?
प्रायः व्यंतर ।
Kya wo anya teen categories (bhavanwaasi, jyotishwaasi aur vaimanik) bhi hote hain?
भवनत्रिक में वैमानिक नहीं आते ।
Okay.