राग
संसार का राग, द्वेष में परिवर्तित होता है,
परमार्थ का वैराग्य में ।
संसार का राग, द्वेष में परिवर्तित होता है,
परमार्थ का वैराग्य में ।
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One Response
यह कथन सत्य है कि संसार में राग करने से द्वेष और आसक्ती मे परिवर्तन हो जाता है लेकिन परमार्थ से राग करने से वैराग्य का रास्ता प़ाप्त मिलता है।अतः जीवन में परमार्थ से राग करना ही श्रेष्ठ है जो जीवन का उद्वार कर सकता है।