मूर्ति स्थिर होती है, सो जिसका आकार स्थिर हो वह मूर्तिक।
आत्मा → अमूर्तिक (आकार बदलता रहता है, पर्यायों के अनुरूप);
अरूपी (सूक्ष्मता तथा स्वभाव की अपेक्षा)।
पुदगल → रूपी, मूर्तिक।
बाकी 4 द्रव्य → अरूपी, मूर्तिक।
चिंतन
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6 Responses
चिंतन में रुपी एवं मूर्तिक का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए आत्मा को पहिचान करना परम आवश्यक है।
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चिंतन में रुपी एवं मूर्तिक का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए आत्मा को पहिचान करना परम आवश्यक है।
बाकी 4 द्रव्य, ‘अरूपी’ hokar ‘मूर्तिक’ kaise hain ?
धर्म, अधर्म आदि दिखते नहीं सो अरूपी।
पर इनका आकार तो है न, सो अमूर्तिक।
‘अमूर्तिक’ ya ‘मूर्तिक’ ?
मूर्तिक ही, जिसका आकार स्थिर हो। चार द्रव्यों के आकार निश्चित हैं न !
Okay.