रूप / स्वरूप

विनोबाभावे जी के घर एक अनाथ बच्चा रहता था।
विनोबा जी की माँ उस बच्चे को गरम और अपने बेटे को ठंडी रोटी देतीं थीं।
कारण ?
माँ… अपने बेटे में मुझे अपना रूप दिखता है, अतिथि बच्चे में अपना स्वरूप।

गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी

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5 Responses

  1. मुनि श्री क्षमा सागर का रूप एवं स्वरुप का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! जहां तक स्वरुप की बात है, उसमें सबकी आत्मा तो एक सी रहती है! जब रुप की बात है, उसमें हर बच्चे में माता पिता का रुप दिखाई देता है!

    1. रूप, शारीरिक जैसे बच्चों की शक्ल माँ से मिलती है।
      स्वरूप, आत्मिक…अतिथि में अपनी जैसी आत्मा को देखना।

  2. अपने को, तो दुनियां चाहती है।
    हम दूसरे को चाहते हैं
    तब दुनियां हमें चाहती है।।

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