वचन

ऐसे सचित्त* शब्दों को मत बोलो जिससे दूसरे का चित्त उखड़ जाये।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

*कीड़ों सहित (जहरीले)।

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One Response

  1. आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने वचन को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है । अतः जीवन के कल्याण के लिए वचनों में जहरीलापन नहीं होना चाहिए।

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