वरदान
जब अपनी इच्छायें नहीं रह जातीं तब वे दूसरों की इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं ।
इसीलिये बुजुर्गों ( तथा साधूओं ) से आर्शीवाद लिया जाता है ।
श्री रविशंकर जी
जब अपनी इच्छायें नहीं रह जातीं तब वे दूसरों की इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं ।
इसीलिये बुजुर्गों ( तथा साधूओं ) से आर्शीवाद लिया जाता है ।
श्री रविशंकर जी
2 Responses
Very foresighted and deep thought, blessings from our elders are really a treasure to be cherished forever.
Yadi bade apna baddapan na bhoole aur chotte unka aadar to jeevan swarg ban jayega…