विचार
1. विचारों का आना – कर्मोदय से,
ये प्राय: गंदे ही होंगे(क्योंकि संस्कार बहुतायत में गंदे ही हैं),
और उन्हें रोकना भी कठिन है,
वे जैसे आयेंगे वैसे ही चले भी जायेंगे, उनमें उलझें नहीं वरना वे अपने जैसे बहुतों को बुला लायेंगे।
गंदगी से घबराओ नहीं, स्वीकारो.. कि हमारे विचार गंदे हैं, तभी तो साफ बनने की कोशिश करोगे !
2. अच्छे/बुरे विचारों का लाना हमारे हाथ में है – अच्छे/बुरे TV serials/magazine देखकर/ संगति करके ।
मुनि श्री अविचलसागर जी
One Response
उपरोक्त कथन सत्य है कि विचार कर्मोदय से ही आते हैं, इसका असर संस्कार पर, लेकिन संगतियों से बनते/बिगड़ते हैं। जीवन में अच्छे और बुरे विचार आते हैं,यह अपने हाथों में नहीं है।
अतः जब गन्दे विचार आवें तो उनको स्वीकार करने पर,उसको सुधारने के लिए प़यास करना आवश्यक है। जीवन में अच्छी संगति,अच्छी किताबें और गुरुओं से जुडना चाहिए ताकि बुरे विचारों पर नियंत्रण करने में समर्थ हो सकते हैं।