ज्योतिष-विज्ञान असफल हो सकता है, क्योंकि बहुत से जीवों की एक सी ग्रहदशा होती है ।
पर स्वर-विज्ञान नहीं क्योंकि वह हर व्यक्ति की विशेष होती है ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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स्वर का मतलब मनुष्य व त्रिर्यंचों के विचित्र शब्दों को सुनकर शुभाशुभ जान लेना होता है।
उपरोक्त कथन सत्य है कि ज्योतिष विज्ञान असफल हो सकता है, क्योंकि बहुत से जीवों की एक सी ग़हदशा होती है लेकिन स्वर विज्ञान नहीं क्योंकि वह हर व्यक्ति की विशेष होती है।
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स्वर का मतलब मनुष्य व त्रिर्यंचों के विचित्र शब्दों को सुनकर शुभाशुभ जान लेना होता है।
उपरोक्त कथन सत्य है कि ज्योतिष विज्ञान असफल हो सकता है, क्योंकि बहुत से जीवों की एक सी ग़हदशा होती है लेकिन स्वर विज्ञान नहीं क्योंकि वह हर व्यक्ति की विशेष होती है।