विनय तप
1. ये सुनने में सरल लगता है पर Practice में कठिन है।
2. विनय तप बाह्य तप से ज्यादा कठिन है, क्योंकि बाह्य तो इच्छानुसार किये जाते हैं।
3. मन का न होने पर भी विनय भाव बनाये रखना/ कषाय न आने देना बहुत कठिन है।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तित्थयर भावणा- गाथा- 14)
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने विनय तप का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। विनय तप अपने अंन्दर होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।