वीर्यांतराय

इन्द्रियों के बढ़ने से वीर्यांतराय का क्षयोपशम तथा आत्मा/ शरीर की शक्त्ति बढ़ती है।
वीर्यांतराय का क्षयोपशम बढ़ने से ज्ञान बढ़ता है तथा ज्ञान बढ़ने से वीर्यांतराय का क्षयोपशम।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

Share this on...

One Response

  1. वीर्यातराय का मतलब द़व्य जो अपनी शक्ति विशेष का वीर्य है।जिस कर्म के उदय जीव किसी कार्य करें प़ति उत्साहित होने की इच्छा होते हुए उत्साहित नहीं हो पाता है,या असमर्थ का अनुभव करना हो। अतः मुनि महाराज जी का कथन सत्य है कि इन्द़ियो केवल बढ़ने से वीर्यातराय का क्षयोपशम तथा आत्मा या शरीर की शक्ति बढ़ती है।क्षयोपशम बढ़ने पर ज्ञान बढ़ता है तथा ज्ञान बढ़ने से वीर्यातराय का क्षयोपशम।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

September 21, 2022

July 2024
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
293031