वृद्धावस्था
गन्ना पुराना, रस कम, निकालने में मेहनत ज्यादा, सो रस की कीमत भी ज्यादा।
वृद्धावस्था कबाड़े की चीज़ नहीं, Antique है/ कीमती है।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
(पुराने वर्षों से अनुभव ग्रहण कर उन्हें वृद्धावस्था की तरह कीमती बनायें)
गन्ना पुराना, रस कम, निकालने में मेहनत ज्यादा, सो रस की कीमत भी ज्यादा।
वृद्धावस्था कबाड़े की चीज़ नहीं, Antique है/ कीमती है।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
(पुराने वर्षों से अनुभव ग्रहण कर उन्हें वृद्धावस्था की तरह कीमती बनायें)
One Response
वृद्धावस्था जीवन में हर प्राणी के होती है।
उपरोक्त कथन सत्य है कि गन्ना पुराना रस कम, निकालने पर मेहनत ज्यादा लगती है,सो रस की कीमत भी ज्यादा होनी चाहिए, लेकिन कीमत तो बराबर होती है ,पर स्वाद अच्छा रहता है।लोग वृद्धावस्था को कबाड़ा सोचते हैं लेकिन जीवन में उनसे मार्गदर्शन, संस्कार आदि मिलते हैं। अतः जीवन में वृद्धावस्था को कबाड़ नहीं कहना चाहिए।