वैभव हमेशा परिग्रह ही नहीं, अनुग्रह* भी है।
*Grace
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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4 Responses
परिग़ह का तात्पर्य यह मेरा है मैं स्वामी हूं, इस प्रकार का ममत्व भाव परिग़ह है, इसमें रागदि भाव होता है।अनुग़ह का मतलब यह मेरा नहीं है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि वैभव हमेशा परिग़ह नहीं होता है,यह अनुग्रह भी होता है। चक्रवर्तियों ने अपना वैभव छोड़कर मोक्ष मार्ग पर चल कर अपना कल्याण किया था।
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परिग़ह का तात्पर्य यह मेरा है मैं स्वामी हूं, इस प्रकार का ममत्व भाव परिग़ह है, इसमें रागदि भाव होता है।अनुग़ह का मतलब यह मेरा नहीं है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि वैभव हमेशा परिग़ह नहीं होता है,यह अनुग्रह भी होता है। चक्रवर्तियों ने अपना वैभव छोड़कर मोक्ष मार्ग पर चल कर अपना कल्याण किया था।
Can meaning of this post be explained, please ?
वैभव को यदि दूसरों के उपकार में लगाया जाए तो वह अनुग्रह ही कह लायेगा न!
धनादि से ममत्व न होने पर ही दानादि कर पाते हैं, फिर वैभव परिग्रह कैसे ?
Okay.